
“Swar Sandhi Kise Kahate Hain” इस निबंध में इस विषय पर चर्चा करेंगे। स्वर संधि की परिभाषा, भेद और किस्मों के बारे में बहुत गहराई से सीखेंगे।
संधि की परिभाषा
संधि शब्द सम् + धि के मेल से बना है, जिसका अर्थ होता है मेल। जब किसी दो निकटवर्ती वर्णों के आपस में मिलने से जो विकार या परिवर्तन होता है, वह संधि कहलाता है।
संधि के भेद
हिंदी व्याकरण की यदि बात की जाए तो सामान्य रूप में संधि के तीन प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
Swar Sandhi Kise Kahate Hain?
स्वर संधि की परिभाषा (स्वर संधि की परिभाषा) : दो स्वरों के आपस में मिलने या मिलने से जो परिवर्तन होता है उसे स्वर संधि कहते हैं।
दूसरे शब्दों में जब स्वर के साथ स्वर का योग हो और उसमें परिवर्तन हो तो उसे स्वर संधि कहते हैं। हिन्दी भाषा में स्वरों की संख्या 11 है।
बात + बात = बात
किताब + कमरा = पुस्तकालय
ऊपर के उदाहरण में आप स्वयं देख सकते हैं कि कैसे दो स्वर एक साथ आने पर बदल जाते हैं। आप यहाँ दिए गए उदाहरण से देख सकते हैं कि दो स्वरों के मेल से प्राथमिक शब्द बदल जाता है। नतीजतन, यह उदाहरण स्वर समझौते के प्राथमिक उदाहरण के रूप में काम करेगा।
स्वरों के उदाहरण
अ + अ= आ
आ तब बनता है जब अ और अ दोनों स्वर एक साथ जुड़ते हैं। इसके उदाहरण नीचे दिए गए हैं।
- परम + अर्थ = परमार्थ
- धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
- अ + आ = आ
स्वर अ और दूसरे स्वर आ को मिलाने से आ बनता है। इसके उदाहरण नीचे दिए गए हैं।
- हिम + आलय = हिमालय
- धर्म + आत्मा = धर्मात्मा
- आ + आ = आ
दोनों आ स्वर की मिलने से आ बनता है। इसके उदाहरण नीचे दिए गए है।
रेखा + अंकित = रेखांकित
सीमा + अन्त = सीमान्त
स्वर संधि के प्रकार
व्याकरण में संधि की सबसे बड़ी इकाई स्वर संधि है।स्वर संधि जिसको 5 भागों में बांटा गया है। स्वर संधि के प्रकार नीचे बताए गए हैं।
- दीर्घ संधि
- गुण संधि
- वृद्धि संधि
- अयादि संधि
- यण संधि
निष्कर्ष
इस ब्लॉग के माध्यम से हमने Swar Sandhi Kise Kahate Hain, संधि की परिभाषा, संधि के भेद व इसके के उदाहरण और स्वर संधि के प्रकार बताएँ है । आशा है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी।
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