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Shringar Ras Ki Paribhasha | Shringar Ras Ka Udaharan

इस ब्लॉग में हम आपको बताएँगे Shringar Ras Ki Paribhasha | Shringar Ras Ka Udaharan के बारे में। पर उससे पहले हम आपको रस के बारे में जानकारी देंगे। 

Ras Kise Kehte Hain?

अच्  प्रत्यय और “रस धातु” शब्द “रस” शब्द के स्रोत हैं। रस्यते इति रस, संस्कृत शब्द रस का मूल है, जिसका अर्थ है “जो स्वाद या आनंद देता है।” रस के मूल शब्द का अर्थ “आनंद” है। रस वह आनंद है जो कविता पढ़ते, सुनते या मनन करते समय अनुभव होता है।

Ras Ke Ang Ki Jankari

चार रस घटकों को नीचे विस्तार से सूचीबद्ध किया गया है।

स्थायी भाव: प्रधान भाव वह भाव है जो रस को ग्रहण करता है। कविता और नाटक दोनों में एक भावनात्मक स्वर बना रहता है। निश्चित भावों के लिए विशिष्ट संख्या नौ है। रस का आधार स्थायी भाव है। रस का हृदय निरंतर तीव्र भावनाओं से भरा रहता है।

विभाव: कारण विभाव शब्द का अर्थ है। सामाजिक हृदय में चल रहे भावों को जन्म देने वाला प्राथमिक तत्व विभाव है।

अनुभाव: सहायक क्रियाओं को दो श्रेणियों में बांटा गया है: प्रेरणा और अनुभव। प्रेरणा समूह में सहायक क्रियाओं के उदाहरण प्रयास करना और चाहना है। दूसरे शब्दों में, अनुभव भावनाओं का समर्थन करता है। अनुभव को उन प्रकट रक्षा तंत्रों को परिभाषित करने के लिए नियोजित किया जाता है जो किसी व्यक्ति द्वारा उन भावनाओं को व्यक्त करने के लिए उपयोग किए जाते हैं जो उन्होंने जगाई हैं।

संचारी भाव: स्थायी भावना संचारी भावों द्वारा समर्थित है। वे सभी रस को पूरा करते हैं। हम इन्हें ही  व्यभिचारी मनोवृत्तियों कहते हैं। इन्हें 33 की संख्या के रूप में देखा जाता है।

Shringar Ras Ki Paribhasha | Shringar Ras Ka Udaharan

हमने रस के बारे में तो जान लिया। अब हम जानेंगे Shringar Ras Ki Paribhasha | Shringar Ras Ka Udaharan के बारे में।  नायक और नायिका के मन में जब प्रेम या रति रस के स्तर तक पहुँच जाता है और रमणीय हो जाता है उसे श्रृंगार रस कहते हैं ।

स्थायी भाव: रति

उद्दीपन विभाव:  नायिका- नायक की चेष्टाएँ

संचारी भाव: मरण ,जुगुप्सा उग्रता जैसे भावों को छोड़कर सभी हर्ष, आवेग, जड़ता, निर्वेद, अभिलाषा, उन्माद

आल्मबन भाव: प्रक्रति, ऋतू, पक्षियों की कुजन,  वसंत, रमणीक उपवन 

अनुभाव: स्पर्श, आलिंगन, अवलोकन, रोमांच, अनुराग 

Shringar Ras Ka Udaharan

Shringar Ras Ki Paribhasha जानने के बाद अब हम जानेंगे Shringar Ras Ka Udaharan के बारे में। श्रृंगार रस के उदाहरण कुछ इस प्रकार हैं :

  • लज्जाशीला पथिक महिला जो कहीं दृष्टि आये।

होने देना विकृत-वसना तो न तू सुन्दरी को॥

जो थोड़ी भी श्रमित बह हौ गोद ले श्रान्ति खोना।

होठों की ओ कमल-मुख की म्लानतायें मिटाना॥

  • रे मन आज परीक्षा तेरी !

सब अपना सौभाग्य मनावें।

दरस परस निःश्रेयस पावें।

उद्धारक चाहें तो आवें।

यहीं रहे यह चेरी !

  • बसों मेरे नैनन में नन्दलाल

मोर मुकुट मकराकृत कुंडल, अरुण तिलक दिये भाल

  • लता ओर तब सखिन्ह लखाए।

श्यामल गौर किसोर सुहाए।।

थके नयन रघुपति छबि देखे।

पलकन्हि हूँ परिहरी निमेषे।।

अधिक सनेह देह भई भोरी।

सरद ससिहिं जनु चितव चकोरी।।

  • मन की मन ही माँझ रही

कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाही परत कही

अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही

अब इन जोग संदेशनि, सुनि-सुनि बिरहिनी बिरह दही।

निष्कर्ष 

इस ब्लॉग के माध्यम से हमने आपको रस के बारे में बताया  है। साथ ही हमने आपको Shringar Ras Ki Paribhasha | Shringar Ras Ka Udaharan के बारे में बताया है जो रस का एक भेद है।

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By admin

A professional blogger, Since 2016, I have worked on 100+ different blogs. Now, I am a CEO at Speech Hindi...

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