भारत के ग्रंथो के हिसाब से 33 करोड़ देवी देवता है. इन में से प्रमुख शिव भगवान्, विष्णु भगवान और ब्रम्हा जी को माना जाता है.
जैसे की नाम से ही पता चल रहा है की ये शिव भगवान से सम्बंदित है. भगवन शिव को अनेक नामो से जाना जाता है जैसे की शंकर,भोलेनाथ, पशुपति, त्रिनेत्र,पार्वतिनाथ, महेश्वर, शम्भू, पिनाकी, शशिशेखर आदि नामो से जाना जाता है.
शिव रात्रि के इस पवन अवसर पर हम आज आपके लिए महाशिवरात्रि पर निबंध (Shivratri Essay in Hindi) लेकर आये है तो फिर चलिये शरु करते है.
शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
शिवरात्रि मनाने के पिच्छे दो मान्यता प्रचलित है चलिये इन दोनों के बारे में जानते है.
पहली मान्यता
माना जाता है इस दिन शिव पहली बार शिव लिंक के रूप में प्रकट हुवे थे और भगवन विष्णु और ब्रम्हा जी के द्वारा शिवलिंग की पूजा अर्चना की गई थी. तब ही से इस दिन को शिव रात्रि के रूप में मनाया जा रहा है.
दूसरी मान्यता
हिन्दू ग्रन्थ के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता सती की शादी हुई थी इसी के उपलक्ष में शिवरात्रि को मनाया जाता है. कहाँ जाता है जो भी भगत मन से वर्त करता है भगवन शिव उस की सभी मनोकामनाए पूरी कर देते है.
शिवरात्रि कथा
पुराने समय में एक शिकारी रहता था जोकि शिकार कर से अपने घर वालों का पालन पोषण करता था. शिव रात्रि के दिन उसे कोई भी शिकार नहीं मिला और वो चिंतित हो गया.
की आज में अपने घर वालो को खाना नहीं खिला पाँव गा आज तो वो बुखे ही सोये गे. एसा सोचते – सोचते वो बुखा प्यासा शिकार की प्रतीक्षा करने लगा और पानी लेकर एक पेड़ पर चढ़ गया.
वो पेड़ बेल पत्थर का था और उस के निचे शिवलिंग भी था जोकि बेल पत्थर के सूखे पतों से डका हुआ था.
वहाँ पर एक पानी से भरा तलाब भी था. कुच्छ समय बीतने के बाद वहाँ पर एक हिरण पानी पिने के लिए आता है.
एसा देखते ही शिकारी अपना बाण उठता है और हिरण को मारने के लिए निशाना साधा इसी से पेड़ हिलकर शिवलिंग पर थोडा पानी गीर गया और कुच्छ बेल पत्थर के पत्ते भी शिव लिंग पर गीर गए.
जब हिरण ने शिकारी की तरफ देखा तो वो डर गया और शिकारी से बोला मुझे जाने दो मेरे छोटे – छोटे बच्चे है. में उन से मिल कर आती हूँ फिर तुम मुझे मार देना.
एसा सुन कर शिकारी ने उसे जाने दिया और फिर दुसरे शिकार की प्रतीक्षा करने लगा.
थोड़े समय के बाद फिर से एक हिरण पानी पिने आता है. फिर से शिकारी बाण उठाता है फिर कुच्छ पानी और बेल पत्थर के पत्ते शिवलिंग पर गीर जाते है.
हिरण ने देखा की शिकारी मुझे मारने जा रहा है. हिरण बोला रुक जाव शिकारी मुझे मत मारो मेरे छोटे – छोटे बच्चे है आखरी समय में उन्हें देखना चाहता हूँ.
में वापिस आ जाव गा फिर तुम मुझे मार देना. शिकारी ने उसे जाने दिया.
फिर थोड़े समय के बाद दोनों हिरण आ गए और शिकारी से बोले अब हमे मार दो और अपने बच्चो और अपना पेट भर लेना.
एसा सुन कर शिकारी रोने लगा और बोला में तुमे नहीं मारू गा. तुम पशु होते हुवे भी कितने दयावान और अपने वचन के पके हो. तुम जाव बिना डरे में तुमे नहीं मारू गा.
एसा सुन कर भगवन शिव प्रकट हुवे और शिकारी से शिव प्रशन हो गए.
इस कहानी से हमे ये पता चलता है की शिव बाबा कितने भोले है उस ने अनजाने में हुवे शिवरात्रि के व्रत से प्रशन होकर शिकारी का उदार किया.
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निष्कर्ष
आशा करते है आपको अब पता चल गया है की शिव रात्रि क्योकि मनाई जाती है और शिव रात्रि की कथा क्या है. अगर जानकारी अच्छी लगे तो दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे आज के लेख में इतना ही धन्यवाद!
मेरा नाम प्रवीन कुमार है मुझे हिंदी भषण लिखने का बहुत सोक है इसी लिए मेने ये ब्लॉग बनाया है जहाँ पर में हिंदी भाषा में भषण शेयर करता हूँ जिन को आप अपने स्कूल, कॉलेज में प्रयोग कर सकते है हमसे जुड़ने के लिए सोशल मीडिया पर भी फॉलो करे धन्यवाद!