[…] Read More […]

rashtriya pakshi mor nibandh
मोर भारत का सबसे सुन्दर और आकर्षक पक्षी है. इसे भारत के राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया गया है. भारत सरकार ने 1963 में मोर को हमारा राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया.
मोर को देखते ही हर कोई उसके पीछे खींचा चला आता है. खासतौर पर जब भी कोई मोर को पंख फैलाते हुए नाचते देख लेता है तो खुशी से जूम उठता है.
राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध (Peacock Essay in Hindi)

rashtriya pakshi mor nibandh
मोर का पंख फैलाकर नाचना प्रकृति को अलग ही सुंदरता प्रदान करता है. मोर के रंग बिरंगे पंख प्रकृति की अद्भुत रचना जैसा प्रतीत होता है. मोर आबादी से दूर रहना पसंद करते है वो बहुत ही शर्मीले पक्षी होते है.
मोर की शारीरिक संरचना
rashtriya pakshi mor nibandh
मोर की शारीरिक बनावट लोगो को अचंभित और मंत्रमुग्ध कर देती है. नर मोर और मादा मोर जिसे मोरनी कहा जाता है दोनों की शारीरिक बनावट में बहुत अंतर होता है.
नर मोर अधिक सुन्दर और आकर्षक होता है. नर मोर मोरनी की तुलना में बड़े होते है. उनका वजन 4 से 6 किलो के बीच होता है और उनकी लम्बाई लगभग 3 से 5 फीट के बीच होती है.
वही मादा मोर यानि मोरनी का वजन 2.5 से 4 किलो तक होता है और लम्बाई लगभग 2.5 से 3.5 फिट तक होती है, इसके पंख मोर की तरह लम्बे नहीं होते.
मोर की नीले रंग की लम्बी गर्दन होती है और उसके सिर के ऊपर कलंगी होती है. सामान्यतः मोर का जीवन काल 25 से 30 वर्ष का होता है.
मोर के पंखो में विभिन्न रंगो का समावेश होता है. नर मोर की पूंछ पर लगभग 150 घने पंखो का गुच्छा होता है. मोर 16 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से दौड़ सकते है.
मोर का व्यवहार
rashtriya pakshi mor nibandh
मोर का व्यवहार बहुत शांत और सुशिल है. वह हमेशा आबादी वाले क्षेत्रों से दूर रहना पसंद करते है लेकिन भोजन की तलाश में कभी कभी वो आबादी वाले इलाको में दिखाई दे सकते है.
मोर अन्य पक्षियों की तरह झुंड में रहने की बजाय अकेला रहना पसंद करते है. मोर के इसी शांत स्वाभाव के कारण वह पक्षियों का राजा कहलाता है उसके सिर पर ताज के जैसी सुन्दर कलंगी मोर की शोभा बढाती है.
वर्षा ऋतु मे मोर अपने पंखो को फैला कर खुशी में झूमते नाचते है और अपनी मधुर आवाज से प्रकृति के सौन्दर्य को बढ़ाते है तब वो बारिश आने का भी संकेत देते है.
Read more about rashtriya pakshi mor nibandh with other sources
लोग मोर को नाचते हुए देखने पर बहुत उत्साहित होते है. मोर जमीन पर घूमते हुए भी दिखाई देते है और ऊँचे पेड़ों पर भी बैठना पसंद करते है. मोर कभी भी लम्बी और ऊँची उड़ान नहीं भरते है.
प्रजनन के मौसम में मोर ऊँची आवाज निकालते दिखाई देते है ऐसा मादा मोर को आकर्षित करने के लिए करते है. मोर वर्षा ऋतु में किसी झील या नदी के किनारे एकत्रित होते है.
और अपने पंखों को फैला कर मादा मोर को लुभाने की कोशिश करते है. ऐसा माना जाता है कि मोरनी हमेशा मोर के पंख फ़ैलाने की कला को देख आकर्षित होती है और प्रजनन क्रिया करती है.
मादा मोरनी अंडे देने के लिए पेड़ पर नहीं बल्कि किसी झाड़ी में घास फूंस से नदी या झील के किनारे घोसला बनाती है.
मोर का आहार
मोर एक सर्वाहारी पक्षी है वो फल, बीज, छोटे कीड़े, छोटे साँप और कुछ स्तनपायी जीवो का सेवन भी करते है. उनका भोजन आसपास उपलब्ध चीजों पर भी निर्भर करता है.
अगर वो खेतो के आसपास रहते है तो मूंगफली, टमाटर, मिर्च, धान आदि फैसले कहते है. जंगल, तालाब और झील आदि के आसपास रहने वाले मोर पेड़ से गिरे फल, कीड़े और छोटे साँपो को खाते है लेकिन बड़े साँपो से मोर हमेशा दूरी बनाये रखते है.
मोर को राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा क्यों मिला?
rashtriya pakshi mor nibandh
जब भारत के राष्ट्रीय पक्षी का चयन हो रहा था तब हँस, बास्टर्ड, सारस क्रैन और ब्राह्मणी काईट जैसे और भी पक्षी इस सूचि में शामिल थे.
लेकिन मोर को ही राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया क्योकि ये हमारे देश के लगभग हर राज्य में मौजूद है. देश का आम नागरिक भी इस पक्षी से परिचित है और आसानी से इस पक्षी को पहचान सकता है.
मोर हमारे देश की संस्कृति और परम्परा का सदियों से एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है. भगवान श्री कृष्ण भी अपने मुकुट के ऊपर मोर पंख का इस्तेमाल करते थे.
भारत के महान शासक चन्द्रगुप्त मौर्य के समय भी सिक्को पर मोर का चित्र बना होता था. मुग़ल काल में भी बादशाह मयूर सिंहासन पर विराजमान होते थे उसे तख़्त ए ताऊस कहा जाता था.
मोर की इन्ही सब विशेषताओं के कारण इसे 26 जनवरी 1963 को भारत के राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया गया.
मोर संरक्षण के लिए कानून
rashtriya pakshi mor nibandh
भारत में मोरो की संख्या में तेजी से गिरावट हुई. लोग माँस और उनके पंखो के लिए मोर का शिकार करने लगे. इस खतरे को बढ़ता हुआ देख भारतीय संसद ने ‘ भारतीय वन्य जीव अधिनियम 1972’ कानून के तहत मोर को राष्ट्रीय सुरक्षा प्रदान की गयी.
इस क़ानून के तहत अगर कोई व्यक्ति मोर का शिकार या हत्या करता है तो उसे सात साल तक की सजा का प्रावधान रखा गया. जिससे मोरों के अवैध शिकार पर रोक लगी. यह हमारे लिए उतना ही पवित्र है जितना हम गाँय को मानते है.
उपसंहार
rashtriya pakshi mor nibandh
हमारे देश का राष्ट्रीय पक्षी मोर बहुत ही सुन्दर और शांत पक्षी है. इसका कण्ठ पूरा नीला होने के कारण इसे नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है.
मोर के पंखों की सुंदरता देख कर हर कोई प्रफुलित हो उठता है. मोर के पंखो को विद्यार्थी अपनी किताबो में रखते है.
ताकि उनको अच्छी विद्या मिले. हमारे देश के अलावा हमारे पड़ौसी देश म्यांमार का भी यह राष्ट्रीय पक्षी है.
हमें मोर की घटती हुई संख्या के बारे में सोचना चाहिए और हमारे आसपास कोई व्यक्ति मोर का शिकार करते हुए पाया जाए तो उसके खिलाफ कानूनी करवायी भी करनी चाहिए.
इन्हें भी जरुर पढ़े
- मेरा भारत महान पर निबंध
- दशहरा पर निबंध
- कोरोना वायरस पर निबंध
- गणतंत्र दिवस पर निबंध
- स्वतंत्रता दिवस पर निबंध
- हॉकी पर निबंध
- श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भाषण
- इन्टरनेट पर निबंध
- गणेश चतुर्थी पर भाषण, निबंध हिंदी में
- ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध
मोर भारत के अवाला विदेशों में भी पाया जाता है। जब बरसात का मौसम होता है तो काले बादलों के नीचे मोर अपने पंख फैलाकर नाचना बहुत पसंद करते हैं। मोर सभी पक्षियों का राजा होने कारण भगवान ने भी इसके सिर पर एक मुकुट के रूप में कलगी लगाईं है। भारत के धार्मिक ग्रंथों में मोर को पवित्र पक्षी माना जाता है