ईश्वरचन्द्र विद्यासागर एक महान इंसान थे. इनका जन्म 26 सितम्बर 1802 को पश्चिमी बंगाल, मिदनापुर जिले, वीरसिंह नामक गाँव में गरीब परिवार में हुआ.
उनके पिता जी का नाम ठाकुरदास था. वो बंधोपाध्याय में मात्र 8 रुपये प्रति महीने के हिसाब से काम करते थे.
Ishwar Chandra Vidyasagar Essay in Hindi
नाम | ईश्वरचन्द्र विद्यासागर |
जन्म का नाम | ईश्वर चन्द्र बन्दोपाध्य्याय |
जन्म तिथि | 26 सितम्बर 1820 |
स्थान | गाव बीरसिंह , बंगाल |
पत्नी | दिनामणि देवी |
पुत्र | पुत्र नारायण चन्द्र बंदोपाध्याय |
देहांत | 29 जुलाई 1891 (आयु 70) |
मृत्यु स्थान | कलकत्ता |
कार्यक्षेत्र | लेखक, दार्शनिक, विद्वान, शिक्षक, अनुवादक, प्रकाशक,समाज सुधारक |
भाषा | बंगाली |
राष्ट्रीयता भारतीय | Indian |
लेकिन ठाकुरदास जिन ने ईश्वरचन्द्र की परवरिश में अपनी तरफ से कोई भी कमी नहीं छोड़ी. इसी के साथ ईश्वरचन्द्र भी गरीब होने के साथ भी आगे बढ़ते रहे और कामयाबी को छूते रहे.
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर जी के घर लाइट नहीं थी इसी लिए वो पढने के लिए सडक पर लगी लाइट की रौशनी में पढाई करते थे. ईश्वरचन्द्र विद्यासागर एक बार जो पढ़ लेते थे वो कभी नहीं भूलते थे.
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर की विधिवत शिक्षा संस्कृत में हुयी थी लेकिन उन्हें संस्कृत के साथ – साथ अंग्रेजी का भी अच्छा ज्ञान था. उका संस्कृत में इतना ज्यादा ज्ञान देखते हुवे 1880 ईस्वी में उनको विद्यासागर की उपाधि दी गई थी.
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर जी का ज्यादा टाइम अध्यापक के रूप में ही गुजरा था.
About Ishwar Chandra Vidyasagar
सबसे पहले वो फोर्ट विलियम कॉलेज में रहे और उस के बाद में वो संस्कृत कॉलेज में रहे थे. कुछ टाइम तक तो उन्होंने ने स्कुल में इंस्पेक्टर का भी काम किया था.
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर जी के समय में बंगाल के अन्दर काफी विकास हुआ पहले सिर्फ उच्च वर्ग के लोगो को ही संस्कृत की शिक्षा लेने का अधिकार था बाद में सभी को ये अधिकार मिला और महिलावो के लिए भी अलग से स्कुल खोले गए.
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर जी एक समाज सुदारक भी थे. उन्हों ने विधवा विवाह को भी समर्थन किया था जब रुढ़िवादियो ने विरोध किया था तो ईश्वरचन्द्र विद्यासागर जी ने अपने बेटे का विवाह एक विधवा औरत से किया था.
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर जी गरीब विधार्थियों की मदद के लिए सदा आगे रहते थे. वो किसी को भी बड़ा व् छोटा नहीं समझते थे.
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर जी ने विभिन भाषा में 50 पुस्तको की रचना की थी. जिस को लगभग 150 सालो से पीढ़िया उनकी पुस्तको से सीखते आ रही है.
आखिर में जुलाई 1891 ईस्वी में महान ईश्वरचन्द्र विद्यासागर जी का दिहांत हो गया.
सम्बंदित लेख : –
ज्यादा जाने के लिए ये विडियो जरुर देखे >>
Final Word
आशा करते है आपको ये Ishwar Chandra Vidyasagar Essay पसंद आया है और आपको बहुत कुछ सिखने को मिला है हम आपके लिए एसे ही निबंध लेकर आते रहते है जोकि आपके लिए बहुत ही ज्ञान वर्धक होते है ऐसे ही निबंध और स्पीच पढने के लिए हमारे साथ बने रहिये गा और दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे धन्यवाद.
मेरा नाम प्रवीन कुमार है मुझे हिंदी भषण लिखने का बहुत सोक है इसी लिए मेने ये ब्लॉग बनाया है जहाँ पर में हिंदी भाषा में भषण शेयर करता हूँ जिन को आप अपने स्कूल, कॉलेज में प्रयोग कर सकते है हमसे जुड़ने के लिए सोशल मीडिया पर भी फॉलो करे धन्यवाद!