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essay on terrorism in hindi

essay on terrorism in hindi

आये दिन हम समाचार में किसी न किसी आतंकवादी घटना या आतंकवाद के बारे में सुनते रहते है. यह तालाब की उस गन्दी मछली की तरह है जो पूरे तालाब को गन्दा कर रही है.

पूरी मानव जाति पर आतंकवाद एक बहुत बड़ा कलंक है और आतंकवादी गतिविधियां प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. यह किसी एक देश की नहीं बल्कि पूरे विश्व की बहुत बड़ी समस्या बन गयी है.

आतंकवाद पर निबंध (Essay on Terrorism in Hindi)

essay on terrorism in hindi
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आतंकवादी शब्द सुनते ही लोगो की रूह काँप उठती है पूरी मानव जाति में डर पैदा कर दिया. आये दिन कही न कही बम ब्लास्ट होते रहते है और कई निर्दोष लोगो को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है.

हमारे देश में भी पुलवामा, 26/11 का हमला, उरी हमला, 2008 का जयपुर ब्लास्ट, 2005 का दिल्ली ब्लास्ट आदि ऐसे कई आतंकवादी हमलो के उदहारण है जिनका नाम सुनते ही हमारा दिल दहल उठता है. 

‘आतंकवाद’ शब्द का अर्थ 

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अमानवीय, असामाजिक और हिंसात्मक गतिविधियों से लोगों के अंदर डर या आतंक पैदा करना आतंकवाद कहलाता है.

समाज के कुछ हिंसात्मक मानसिकता वाले लोग आर्थिक या राजनितिक या अन्य किसी भी उद्देश्य को पूरा करने के लिए किसी देश के नागरिको के ऊपर हिंसा करते है.

ऐसी ख़राब मानसिकता वाले कई लोग एक साथ मिलकर आतंकवादी संगठन बनाते है और अगर कोई व्यक्ति या समूह किसी आतंकवादी संगठन  की किसी भी प्रकार से मदद करता है तो वो भी आतंकवाद की श्रेणी में ही माना जाता है.

आतंकवादी अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक साथ कई लोगो की जान ले सकते है. कुछ आतंकवादी संगठन तो आतंक फ़ैलाने के लिए मानव बम का इस्तेमाल करते है जो लोगो की जान लेने के लिए अपनी जान दे देते है.

सन 1790 में पहली बार फ्रांसीसी क्रान्ति के दौरान फ़्रांस के अधिकारीयों के खिलाफ फ़्रांस के लोगों के द्वारा आतंक शब्द का इस्तेमाल किया था.

आतंकवाद को किसी भी देश के संविधान में कानूनी रूप से परिभाषित नहीं किया गया है इसलिए आतंकवाद की कोई भी परिभाषा पूरी तरह से सटीक नहीं है.

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भारत में आतंकवाद

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पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद ने भारत को बहुत बुरी तरह से प्रभावित किया है और प्रतिदिन आतंकवादी घटनाये बढ़ती जा रही है.

भारत में कश्मीर, असम, बिहार, पंजाब, नागालैंड जैसे राज्य आतंकवाद से बहुत बुरे तरीके से प्रभावित है. भारत में कुछ आतंकवादी घटनाये ऐसी हुई जिन्होंने न जाने कितने ही हँसते खेलते परिवारों को उझाड़ दिया.

मुंबई सीरियल ब्लास्ट – 12 मार्च 1993 के मुंबई में एक के बाद एक 12 सीरियल बम ब्लास्ट हुए जिनमे 257 मासूम लोगो की जान गयी.

पहला धमाका मुंबई स्टॉक एक्सचेंज की इमारत में हुआ जिसमे लगभग 84 लोगो की जान गयी. उसके बाद दूसरा धमाका एक ट्रक में हुआ जिसमे 5 लोग मारे गए.

उसके बाद तीसरा, चौथा, पांचवा ऐसे करके कुल बारह आतंकवादी धमाके हुए जिनमे मासूम लोगो की जाने गयी.

कोयंबतूर बम धमाका – 14 फरवरी 1998 को कोयंबटूर में अल उम्माह नाम के इस्लामिक आतंकी संगठन ने 11 अलग अलग जगहों पर बम धमाके किये जिनमे 60 लोग मारे गए और लगभग 200 से अधिक लोग घायल हुए.

26/11 का हमला– 26 नवंबर 2003 को 10 आतंकवादियों ने हथियारों के साथ होटल ताज, नरीमन हाउस और ओबरॉय हॉउस में घुसकर लोगो पर अंधाधुन गोलिया चलाई. इस हमले में 166 लोग मारे गए थे और 300 से भी अधिक लोग घायल हुए.

पुलवामा हमला – 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में जैश-ए-मोहब्बत के एक आतंकवादी ने सीआरपीएफ के 40 जवानो से भरी एक बस को विस्फोटक सामग्री से भरी एक कार से टक्कर दी जिसमे बस में सवार सभी जवान शहीद हो गए. 

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आतंकवाद के मुख्य कारण 

आतंकवाद बढ़ने के बहुत से कारण हो सकते है. किसी न किसी कारण से ही कोई व्यक्ति आतंकवाद का समर्थन करता है या आतंकवादी बनता है.

आतंकवाद की इस समस्या को जड़ से ख़त्म करने के लिए आतंकवाद बढ़ने के कारणों को जानना बहुत ही आवश्यक है.

राजनितिक कारण – किसी देश की सरकार के फैसलों से नाखुश होने पर लोगो के अंदर आक्रोश भर जाता है और ऐसे में वो आतंकवादी संगठन भी बना लेते है.

ऐसी घटनाये भी बहुत बार सामने आ चुकी है जब आदिवासी इलाको में सरकार लोगो के हित काम नहीं करती तो लोग नक्सलवाद या आतंकवाद का समर्थन करते है.

धार्मिक कारण – किसी ऐसे देश में जहाँ किसी एक धर्म के लोगो की संख्या अधिक होती है और दूसरे धर्मो को इतना महत्व नहीं दिया जाता.

धर्म के नाम पर लोगो का शौषण किया जाता है तब अधिक परेशान होकर भी कोई आतंकवादी बन सकता है. 

आर्थिक कारण – बहुत सी जानकारियों में पता चला है कि कई बड़े बड़े आतंकी संगठनों में ऐसे आतंकवादी जुड़े हुए है जो बहुत पढ़े लिखे है.

पढ़े लिखे और समझदार होने के बाद भी लोग आतंकवादी क्यों बनते है इसके पीछे आर्थिक स्थिति एक महत्वपूर्ण वजह हो सकती है.

पढ़ने लिखने के बाद भी लोगो को नौकरियां नहीं मिलती इसके बाद ही ऐसा कदम उठाते है या फिर परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब होने के कारण वो ऐसा कदम उठाते है.

आतंकवाद का निवारण 

तेजी से बढ़ती हुई इस आतंकवाद की समस्या ने दुनिया के कई शक्तिशाली देशो को भी आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर कर दिया है.

आतंकवाद को ख़त्म करना पूरी मानव जाति के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन चूका है. आतंकवाद को ख़त्म करने के लिए सबसे पहले ऐसे लोगों, देशों या संगठनों पर प्रतिबन्ध लगाना होगा जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आतंकी संगठनों को आर्थिक सहायता प्रदान करते है.

कुछ लोग गैर कानूनी  और अवैध रूप से हथियार बनाते है और आतंकी संगठनों तक पहुँचाते है ऐसे लोगो का पता लगाकर उन पर कड़ी करवाई करनी होगी.

उपसंहार  

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भगवान ने पूरी सृष्टि में मानव को सबसे शक्तिशाली प्राणी बनाया है और अपनी इसी शक्ति से वो संसार में ऐसे अद्भुत कार्य भी कर सकता जो आम जीव के लिए संभव नहीं है.

समाज के कुछ ऐसे लोग जो अपनी इन्ही शक्तियों का गलत तरीके से उपयोग कर रहे है. वो दुसरो को डरा कर जीना और मारने में अपनी शक्ति का दुरूपयोग करते है.

आतंकवादी भी उसी प्रकार के कुछ लोग है जो समाज के लिए बहुत बड़ा कलंक है. आतंकवाद के इस गंभीर विषय पर सभी देशो को एक साथ मिलकर कुछ ठोस कदम उठाने की जरुरत है तभी आतंकवाद को जड़ से ख़त्म किया जा सकता है.

ऐसे देश जो आतंकवाद को आर्थिक सहायता देते है उनके ऊपर कड़ी करवाई होनी चाहिए. तभी लोगो के अंदर से आतंकवाद का भय खत्म हो पायेगा.  

https://www.youtube.com/embed/C_4Y7Wskt1s

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By admin

A professional blogger, Since 2016, I have worked on 100+ different blogs. Now, I am a CEO at Speech Hindi...

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