
essay on teej festival in hindi
भारत देश त्यौहारों के देश के नाम से विश्व भर में प्रसिद्द है यहां प्रतिदिन किसी न किसी धर्म का कोई न कोई त्यौहार जरूर होता है. हर त्यौहार को लोग परम्परा और उत्साह के साथ मनाते है. तीज का त्यौहार भी हिन्दू धर्म के विभिन्न त्यौहारों में से एक है. यह त्यौहार विशेष तौर पर उत्तर भारत में विवाहित महिलाओं के द्वारा श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है.
तीज के त्यौहार को हरियाली तीज, कजरी तीज और हरितालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है इस त्यौहार पर सुहागन महिलाये अपने पति की लम्बी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती है. महिलाये सोलह सिंगार करती है और हाथों में मेहंदी लगाती है. इस लेख में तीज के त्यौहार पर निबंध लिखा गया है जो सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है.

तीज के त्यौहार पर निबन्ध (Essay on Teej Festival in Hindi)
essay on teej festival in hindi
तीज का त्यौहार को मनाने की परम्परा हिन्दू धर्म में कई वर्षों से चली आ रही है. तीज के त्यौहार के बाद ही सावन की शुरुआत होती है इसलिए लोगों के अंदर अलग ही उत्साह का माहौल होता है. वैसे तो तीज का त्यौहार विशेष तौर पर सुहागन महिलाओं का त्यौहार है लेकिन बहुत सी कुंवारी कन्या भी अपना मनपसंद पति प्राप्त करने के लिए ये व्रत रखती है.
तीज के इस त्यौहार के सभी नियमों का महिलायें सख्ती से पालन करती है और यही कोशिश करती है कि वो किसी भी प्रकार की भूल चूक से बचकर रहे. इस दिन सभी महिलाएं अपने पसंदीदा व्यंजन भी बनाती है ताकि भगवान शिव और देवी पार्वती को खुश कर सके.
तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
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हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले हर त्यौहार के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा जरूर होती है ऐसा माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 जन्मों तक कठोर तपस्या की उसके बाद 108वें जन्म में भगवान शिव का उनसे पति के रूप में मिलन हुआ.
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इसी मान्यता के अनुसार विवाहित महिलाये अपने पति की सुख समृद्धि और कुँवारी लड़कियाँ भगवान शिव जैसे पति की प्राप्ति के लिए उपवास रखती है और शिव-पार्वती की पूजा-आराधना करती है उन्हें खुश करने के लिए भाँति-भाँति प्रकार के पकवानों का भोग लगाती है.
तीज का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
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तीज के पर्व के दिन शादीशुदा महिलाओं के मायके से वस्त्र श्रृंगार सामग्री भेजी जाती है महिलाएं सुबह जल्दी उठती है और अपने मायके से आये कपड़ों को पहन कर सोलह श्रृंगार करती है. पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है मतलब कि महिलाएं न कुछ खा सकती है और न ही जल ग्रहण कर सकती है.
इस दिन हरे वस्त्र, मेहंदी लगाना और झूला झूलने का भी रिवाज है और शाम को शिवजी और पार्वती की कथा सुनती है. तीज के अगले दिन सुबह स्नान करने के बाद महिलाये अपना व्रत तोड़ती है. तीज के व्रत को करवा चौथ के व्रत से भी कठिन माना जाता है.
तीज के त्यौहार का महत्त्व
सावन का यह पहला त्यौहार बच्चे, बूढ़े, जवान, महिलाएं हर वर्ग के लोगों के मन में अलग ही ख़ुशी और उत्साह लेकर आता है. सावन की हरियाली के साथ आने से तीज के त्यौहार का महत्त्व और भी बढ़ जाता है. चारों तरफ हरियाली और सावन की वो मूसलाधार बारिश जीवन को और भी रंगीन कर देती है इसलिए कई क्षेत्रों में इस त्यौहार को हरियाली तीज भी कहा जाता है.
नव विवाहित महिलाएं शादी के बाद अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए व्रत रखती है. वो अपने मायके जाने के लिए बेसब्री से इंतज़ार करती है मन में अत्यधिक ख़ुशी होती है. अपने हाथों में सुन्दर-सुन्दर मेहंदी लगाती है सदैव सुहागन रहने की कामना करती है. इस पर्व पर मिठाइयाँ बनाने का भी विशेष महत्त्व है खास तौर पर गुँजिया और गेवर जैसे व्यंजन विशेष तौर पर बनाये जाते है.
तीज के दिन कई जगहों पर बहुत धूम धाम के साथ मेले और झुलुस का आयोजन किया जाता है माता पार्वती देवी की सवारी बड़ी धूमधाम के साथ निकाली जाती है. तीज का व्रत रखने से घर में सुख समृद्धि आती है और वैवाहिक जीवन में आने वाली हर समस्या दूर हो जाती है.
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निष्कर्ष
essay on teej festival in hindi
तीज का त्यौहार महिलाओं के लिए करवाचौथ के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार होता है जिसको मनाने के लिए हर महिला उत्साहित रहती है. गाँवों और छोटे शहरो में आज भी इस पर्व महिलाएं पूरे रीति रिवाज के साथ मनाती है.
बड़े शहरों में इस त्यौहार को मनाने की परम्परा लुप्त होती हुई दिखाई दे रही है. हमारी इन्ही परम्पराओं के कारण हमारा देश विश्व प्रख्यात है लेकिन लोग शहरीकरण को अपनाने के चक्कर में हमारी परम्पराओं से दूर होते जा रहे है जो बिल्कुल भी सही नहीं है. हम चाहे कहीं भी हो हमारे धर्म के हर त्यौहार को मिलकर ख़ुशी से मनाना चाहिए.
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