मनुष्य अपनी सारी उम्र धन कमाने में व्यस्त रहता है लेकिन हमारे लिए सबसे बड़ा धन हमारा स्वास्थ्य है. इस वास्तविकता से परिचित होते हुए भी हम आये दिन अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते आ रहे है यह तो खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा प्रतीत होता है. नशा हमारे स्वास्थ्य का सबसे बड़ा दुश्मन है आजकल हमारी छोटी मोटी पार्टियां बिना धूम्रपान और नशे के नहीं होती फिर आगे चलकर लत बन जाती है और उसे छोड़ पाना बहुत ही मुश्किल होता है.
युवा वर्ग जो कि हमारे देश का भविष्य माना जाता है वही सबसे ज्यादा नशे में डूबा हुआ है. नशे के कारण ही न जाने कितने घर बरबाद हो गए लेकिन प्रतिदिन नशा करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. अमीर हो या गरीब हर वर्ग के लोग नशे में डूबे हुए है इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरुरत है. इस लेख में नशा मुक्ति पर निबंध लिखा गया है जो सभी विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है.

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नशा मुक्ति पर निबंध (Essay on Nasha Mukti in Hindi)
नशा शारीर के लिए सबसे घातक बुराई है जो व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से कमजोर कर देता है. नशा कई प्रकार का होता है जैसे शराब, धूम्रपान, चरस, गांजा, हेरोइन, कोकीन, बीड़ी, सिगरेट इत्यादि. केवल अनपढ़ और गरीब लोग ही नशे के शिकार नहीं है बल्कि बहुत से पढ़े लिखे और अमीर व्यक्ति भी भिन्न-भिन्न प्रकार के नशे करते है.
आजकल के युवा शुरुआत में स्टाइल मारने के लिए नशा करते है लेकिन फिर बाद में धीरे-धीरे नशा उनके लिए एक लत बन जाता है जिसको छोड़ पाना मुश्किल होता है. यहीं से व्यक्ति का हर प्रकार से पतन शुरू हो जाता है. बहुत से ऐसे परिवार है जो नशे की लत से परेशान है परिवार के कमाने वाले सदस्य को खुद नशे की लत होती है जिसके कारण कमाया हुआ सारा पैसा नशे में उड़ा देता है और जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है.
बहुत से लोग केवल शौख के लिए शराब पीते है और कुछ लोग थकान और तनाव दूर करने के लिए नशा करते है. जो कि बिलकुल गलत है नशा करने वाला व्यक्ति समाज में अपना मान सम्मान भी खो बैठता है और वो अपने परिवार के सदस्यों की नज़रों में भी गिर जाता है.
नशे के दुष्प्रभाव
“नशा नाश का द्वार है” यह कहावत वास्तविकता को दर्शाती है जो व्यक्ति नशा करता है वो धीरे-धीरे अपने आप को पतन की और ले जाता है और उसके शरीर में कैंसर जैसी भयंकर बीमारियाँ अपना घर बना लेती है जो आगे जाकर एक दिन उसका नाश कर देती है. जो लोग सिगरेट या बीड़ी पीते है उनके फेफड़े खराब हो जाते है यह बीमारी कभी ठीक नहीं होने वाली बीमारियों में से है जो आगे और घातक साबित होती है.
धूम्रपान करने वाले ज्यादातर लोगों की मौत का कारण फेफड़ो का कैंसर है और यह युवाओ में भी बहुत अधिक है. तम्बाकू, गुटका, शराब का सेवन करने वाले व्यक्ति के पैर, दिमाग और हाथों की कलाई जैसे शरीर के अलग-अलग हिस्सों में खून के थक्के बनने लगते है.
नशा व्यक्ति के मस्तिष्क पर भी बहुत बुरा प्रभाव डालता है नशा करने वाले व्यक्ति की याददाश्त धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है वो हमेशा चिड़चिड़ा और मानसिक तनाव में रहता है. वो लोगो से दूर रहने की कोशिश करता है और छोटी-छोटी बातों पर लोगो से झगड़ लेता है.
बहुत सी दुर्घटनाओं के पीछे भी नशा ही कारण पाया जाता है लोग शराब के नशे में गाड़ी चलाते है और अपने साथ-साथ दूसरे के जीवन को भी खतरे में डालते है. शराब से सड़क दुर्घटना में मृत्यु होने की आये दिन खबरे आती रहती है इस नशे में जाने कितने लोग अपनी जान गँवा चुके है.
घरेलु हिंसा, बलात्कार, चोरीचकारी, मारपीट जैसी बहुत सी घटनाओं को लोग नशे में ही अंजाम देते है. नशा उनके दिमाग पर हावी हो जाता है और ऐसे अपराधों को अंजाम देने पर मजबूर कर देता है. कई गरीब मजदुर लोग जो सही ढंग से अपने परिवार के लिए भोजन और रहने की व्यवस्था नहीं कर पाते वो भी दिन भर मजदूरी करके पैसे कमाता है और शाम को सारे पैसे शराब और नशा करने में उड़ा देता है.
नशा मुक्ति के उपाय
लोगों को नशे के इस अंधकार से बाहर निकलने के लिए विभिन्न सरकारी संस्थान और एनजीओ प्रयास कर रहे है लेकिन फिर भी नशा करने वाले लोगो की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही बल्कि ये तेजी बढ़ती जा रही है. कम उम्र के युवा भी अलग-अलग नशा करते है ऐसे लोगों को नशा करने से होने वाले हानिकारक प्रभाव से परिचित करवाकर उन्हें नशा छोड़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए.
सरकार नशा मुक्ति अभियान चलाकर लोगो का नशा छुड़वाने का प्रयास करती है लेकिन कभी शराब, गुटका, तम्बाकू जैसे पदार्थों पर प्रतिबन्ध नहीं लगाती क्योंकि इन वस्तुओं से सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स प्राप्त होता है. टीवी पर भी नशा मुक्ति के लिए अलग-अलग विज्ञापन दिखाए जाते है ताकि लोग नशे के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक हो और नशे से अपने आप को दूर रखे.
देश के विभिन्न क्षेत्रो में नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किये गए है जो लोगो की नशा छुड़वाने में मदद करेंगे. भारत सरकार ने नशीले पदार्थों के पीड़ितों और उनके परिवार की सहायता के लिए राष्ट्रीय टोल फ्री नशा मुक्ति हेल्पलाइन नंबर भी स्थापित किये है.
बाजार में भी मेडिकल और आयुर्वेद के द्वारा नशा छुड़वाने के लिए तैयार की गयी दवाइयां उपलब्ध है उन दवाइयों की मदद से बहुत से लोग नशा छोड़ने में सफल रहे है और जिसके कारण उनका पूरा परिवार एक नया जीवन शुरू करने में सफल हुआ है.
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निष्कर्ष – नशा करना किसी भी प्रकार से स्टाइल और स्टेटस को नहीं बढ़ता बल्कि नशा करने वाला व्यक्ति समाज में अपनी इज्जत खोने लगता है. लोग शुरुवात मे शौख और स्टाइल मारने के लिए नशा करते है लेकिन बाद में उनको नशे की लत लग जाती है. इसलिए हमें खुद नशे से दुरी बनाये रखनी है और हमारे आसपास जो भी लोग किसी भी प्रकार का नशा करते है उन्हें जागरूक करना है.
नशा किसी भी प्रकार से तनाव और चिड़चिड़े पन को दूर नहीं करता बल्कि हमारे दिमाग पर उल्टा असर करके हमारे अंदर की भावना को प्रभावित करता है जिसके कारण हमारे दिमाग की क्षमता कम होने लगती इसलिए नशे से हमेशा दूर रखना चाहिए.