
अहिंसा मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है यह कथन हम (अहिंसावाद) बचपन से सुनते आ रहे है. हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने अपने पूरे जीवन काल में अहिंसावाद को अपनाया और सभी लोगों को अहिंसा की राह पर चलने की सलाह दी. भारत देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजादी दिलाने के लिए भी उन्होंने अहिंसा का ही सहारा लिया और इस कार्य में वो सफल भी हुए. गांधीजी आज भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व भर में सत्य और अहिंसा के प्रतीक के रूप में जाने जाते है.
अहिंसा की राह पर चलकर कठिन से कठिन कार्य को भी विनम्रता के साथ बहुत आसानी से किया जा सकता है और हिंसा के कारण होने वाले जान और माल के नुकसान से बचा जा सकता है. हर मनुष्य को अपने जीवन में हिंसा को त्याग कर अहिंसा को अपनाना चाहिए.
इस लेख में अहिंसावाद पर निबंध लिखा गया है जो सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है.
अहिंसावाद पर निबंध (Ahinsha Par Nibandh)

अहिंसावाद किसी भी समाज के कल्याण और विकास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. प्राचीन काल से ही हर धर्म में लोगों को इसका का पाठ पढ़ाया जाता आ रहा है. जो अहिंसा की राह पर चलता है वो हमेशा अपने जीवन में हर लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेता है. जैन धर्म में भी अहिंसा को बहुत महत्व दिया गया है और धर्म का हर अनुयायी इस राह पर चलने का प्रयास करता है.
अहिंसावाद की राह पर चलने वाले व्यक्ति को समाज में उचित स्थान दिया जाता है और समाज का हर छोटे से बड़ा व्यक्ति उस व्यक्ति का अनुसरण करने की कोशिश करता है. अहिंसावादी व्यक्ति हमेशा विनम्र और शांत स्वभाव से सभी लोगों के साथ पेश आता है ताकि वो दूसरों के जीवन में भी बदलाव ला सके.
अहिंसावाद क्या है?
अहिंसावाद के अर्थ को समझना कठिन नहीं है लेकिन इसका अनुसरण करना हर किसी के बस की बात नहीं है. अहिंसा की राह पर चलने के लिए किसी भी व्यक्ति का अपने मन और क्रोध पर काबू होना बहुत ही जरूरी है क्योंकि क्रोध बहुत जल्दी हिंसा का रूप ले सकता है. अहिंसावाद का अर्थ होता है किसी भी जीव को तन, मन, वाणी और कर्म से नुकसान नहीं पहुंचना.
अहिंसावाद को अपनाकर समाज में बहुत बड़ा बदलाव लाने वाले महात्मागांधी, नेल्सन मंडेला, स्वामी विवेकानंद, मदरटेरेसा जैसे महान अहिंसा के पुजारियों को आज भी पूरे विश्व में याद किया जाता है और उनके जन्मदिवस को मनाया जाता है ताकि समाज के सभी लोग उनके जीवन से प्रेरणा लें.
आज के इसी समय में हिंसा बहुत तेजी से बढ़ रही है और लोग छोटी छोटी बातों के लिए एक दूसरे के साथ अपशब्द और हिंसा का इस्तेमाल करते है. यह हमारे समाज के लिए बहुत ही नकारात्मक घटना है और इसको कम करने के लिए अहिंसावाद को अपनाना बहुत ही जरूरी है.
अहिंसावाद का महत्त्व
इस दुनिया का हर देश और नागरिक यह चाहता है कि आपस में हमेशा शांति बनी है. कोई भी किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करे और प्रेम से रहे. इन सबके लिए अहिंसा के मार्ग पर चलना बहुत ही जरूरी है. ऐसा हम अपने आस पास अक्सर देखते है कि लोगों के बीच कितना भी बड़ा झगड़ा हो अगर एक व्यक्ति शांति और अहिंसा के साथ पेश आता है तो झगड़ा पल भर में समाप्त हो जाता है.
अहिंसा लोगो के बीच में आपस के तनाव को तो ख़त्म करती ही है साथ ही एक व्यक्ति के स्वयं के मन में उत्पन्न क्रोध और हिंसा को समाप्त कर उसके आंतरिक तनाव को भी दूर करती है. अहिंसा हर प्रकार के वर्ग चाहे वो विद्यार्थी, युवा और बुजुर्ग कोई भी हो उनके जीवन को बेहतर बनाने का कार्य करती है.
हिंसा किसी भी जीव से जाने या अनजाने में हो सकती है. जानबूझ कर की गयी हिंसा बहुत बड़ा पाप है और ऐसी हिंसा करने वाले व्यक्ति को दंड देने के लिए क़ानून में सजा का प्रावधान है. अनजाने में अगर कोई हिंसा करता है तो वो बहुत बड़ा अपराध नहीं है लेकिन ऐसी हिंसा से भी बचने की कोशिश करनी चाहिए.
हिंसा के कारण हर प्रकार से भारी क्षति का सामना करना पड़ सकता है इसलिए अहिंसा ऐसे जीव और आर्थिक नुकसान से हमेशा दूर रखता है. आज अहिंसावाद के कारण ही कई देश आपस में अच्छे संबंध बनाए हुए है और एक दूसरे की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने में अपना योगदान दे रहे है.
हिन्दू धर्म की पौराणिक कथा महाभारत की बात करे तो महाभारत का युद्ध हिंसा का बहुत बड़ा उदाहरण है अगर दुर्योधन पांडवों के साथ शांति से संधि कर लेता तो इतनी बड़ी हिंसा नहीं होती. अहिंसा का विचार हर मनुष्य के मन में होगा तभी हिंसा को समाज से ख़त्म किया जा सकता है.
अहिंसावाद को जीवन में लागू करना थोड़ा कठिन हो सकता है क्योंकि सामान्य मनुष्य अपने क्रोध पर ज्यादा काबू नहीं रख पाता और क्रोध भी हिंसा का मुख्य कारण होता है. मनुष्य को सबसे पहले अपने क्रोध पर काबू पाना सीखना चाहिए फिर वो आसानी से अहिंसा के मार्ग को अपना सकता है.
अहिंसावाद एक ऐसा विचार है जो लोगों को आपस में जोड़ने और संगठित रखने के काम करता है. ऐसा व्यक्ति हो अहिंसावादी होता है उसको हमेशा सम्मान और प्रेम मिलता है. अगर अहिंसा का अनुसरण होगा तो आपस में अहंकार, द्वेष और झगड़े समाप्त हो जायेंगे.
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निष्कर्ष
अहिंसावाद इस संसार में मौजूद सभी प्राणियों के जीवन का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए. दूसरों को अहिंसा का पाठ पढ़ाने से पहले हमें अपने आप को अहिंसा की राह पर लाना है और फिर दूसरों के अंदर यह बदलाव लाने का प्रयत्न करना है. अगर समाज का हर व्यक्ति इस विचारधारा के साथ आगे बढ़ेगा तो इस समाज में फ़ैल रही हिंसा को बहुत हद तक कम किया जा सकता है.
हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भी ऐसे खुशहाल भारत का सपना देखा था जहाँ देश का हर नागरिक अहिंसा की राह पर चले और आपस में बैर भाव ख़त्म हो. इसके लिए हमें विद्यार्थी जीवन से ही अहिंसावाद को अपने जीवन में लागू करना होगा और अपने आस पास के हर व्यक्ति को इस राह पर लाना होगा.
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