हमारे चारों ओर जड़ी-बूटी का आवरण जो हमें बिना किसी कठिनाई के रहने में सक्षम बनाता है, परिवेश कहलाता है। हमें उस परिवेश से हर प्रकार की सहायता मिलनी चाहिए जो किसी भी जीव के रहने के लिए आवश्यक है। पर्यावरण ने हमें हवा, पानी, खाद्य सामग्री, सुखद वातावरण आदि का प्रशिक्षण दिया है। सभी लोगों ने आमतौर पर पर्यावरण के संसाधनों का भरपूर उपयोग किया है और आज हमारे विकास में पर्यावरण का मुख्य योगदान रहा है।
जीवन को व्यवहार्य बनाने वाले सभी प्रकार के हर्बल कारक पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं जिनमें जल, वायु, भूमि, प्रकाश, अग्नि, जंगल, जानवर, झाड़ियाँ आदि शामिल हैं। यह माना जाता है कि पृथ्वी सबसे प्रभावी ग्रह है जिस पर जीवन है और जीवन शैली को धारण करने के लिए जीवन शैली का, एक परिवेश है।
पर्यावरण प्रदूषण का हमारे जीवन पर प्रभाव
पर्यावरण के अभाव में जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है और हमें भविष्य में अस्तित्व को बचाने के लिए अपने परिवेश की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। यह दुनिया में रहने वाले हर व्यक्ति का दायित्व है। प्रत्येक व्यक्ति को आगे आना होगा और पर्यावरण सुरक्षा के लिए चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा बनना होगा।
प्रकृति की स्थिरता को धारण करने के लिए संसार में अनेक चक्र ऐसे हैं जो प्राय: परिवेश और निवास पदार्थों के बीच उत्पन्न होते हैं। जैसे ही यह चक्र गड़बड़ाता है, पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ता है, जो मानव अस्तित्व को वस्तुतः प्रभावित करता है। हमारा परिवेश हमें कई वर्षों तक दुनिया में फलने-फूलने और विकसित होने में सक्षम बनाता है, जिस तरह लोगों को प्रकृति द्वारा निर्मित दुनिया में सबसे चतुर प्राणी माना जाता है, वे ब्रह्मांड के आंकड़ों को समझने में उल्लेखनीय रुचि रखते हैं जो आगे बढ़ता है उन्हें प्रौद्योगिकी के करीब।
पर्यावरण का महत्व
हम सबकी जीवन शैली में एक ऐसी पीढ़ी पैदा हो गई है, जो जीवन के अवसरों को प्रतिदिन खतरे में डाल रही है और पर्यावरण को नष्ट कर रही है। जिस तरह से हर्बल हवा, पानी और मिट्टी प्रदूषित हो गई है, ऐसा लगता है कि यह देर-सबेर हमें बहुत नुकसान पहुंचा सकती है। यहां तक कि इसने इंसानों, जानवरों, पेड़-पौधों और अन्य जैविक प्राणियों पर भी अपना भयानक असर दिखाना शुरू कर दिया है।
कृत्रिम रूप से संगठित उर्वरकों और हानिकारक रसायनों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता नष्ट हो जाती है, और हमारे द्वारा प्रतिदिन खाए जाने वाले भोजन के माध्यम से हमारे शरीर में एकत्र हो जाती है। व्यापारिक प्रतिष्ठानों से निकलने वाला हानिकारक धुंआ हमारी हर्बल हवा को दूषित करता है जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, क्योंकि हम इसे आमतौर पर सांस के माध्यम से अंदर लेते हैं।
पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारियाँ
प्रदूषण में वृद्धि हर्बल संसाधनों की तेजी से कमी का मुख्य कारण है, जो न केवल प्राकृतिक दुनिया और पेड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र को भी बाधित कर रहा है। आज के जीवन की इस व्यस्तता में कुछ भयानक व्यवहारों को बदलना बहुत महत्वपूर्ण है जो हम दैनिक जीवन में करते हैं। यह सच है कि बिगड़ते पर्यावरण के लिए हमारे द्वारा किया गया एक छोटा सा प्रयास बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है। हमें अब अपने स्वार्थ और प्रतिकूल इच्छाओं को पूरा करने के लिए हर्बल स्रोतों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
निष्कर्ष
हमें इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि वर्तमान युग भविष्य में पारिस्थितिक स्थिरता को किसी भी तरह से विचलित नहीं कर सकता है। समय आ गया है कि हर्बल स्रोतों की बर्बादी को रोका जाए और उनका विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए। हमें अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए तकनीकी ज्ञान और युग का विस्तार करना होगा, लेकिन हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि यह चिकित्सा विकास भविष्य में किसी भी तरह से पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए।
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