किसी भी भाषा की अभिव्यक्ति ध्वनियों के माध्यम से जानी जाती है। जब हम बोलते हैं तो ध्वनि किसे कहते हैं। इसके जरिए हम अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करते हैं और सामने वाले तक पहुंचाते हैं। दूसरी ओर, यदि हम विचारों और भावनाओं को लिखना चाहते हैं, तो हमें ध्वनियाँ लिखने के लिए प्रतीकों का उपयोग करना होगा। ध्वनि के इन चिह्नों को वर्ण कहते हैं। भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि या अक्षर होती है। अक्षरों के समूह को अक्षर कहते हैं। Hindi Varnamala सभी वर्णों या अक्षरों को मिलाकर बनती है। अक्षरों को एक व्यवस्थित समूह में रखना Hindi Varnamala कहलाता है।
Hindi Varnamala में कितने वर्ण या अक्षर होते हैं ?
हिंदी भाषा की Hindi Varnamala में उच्चारण के आधार पर कुल मिलाकर 52 अक्षर होते हैं। उच्च से 11 अक्षर स्वर (स्वर) कहलाते हैं और 41 अक्षर व्यंजन (व्यंजन) कहलाते हैं। इसी तरह हम यदि बात करें लेखन (लेखन) की तो लिखने के आधार पर हिंदी अक्षरों में 56 अक्षर होते हैं जिनमें से 11 स्वर , 41 व्यंजन एवं 4 संयुक्त व्यंजन होते है । हिन्दी वर्णमाला को निम्नलिखित वर्ण समूहों में विभाजित किया गया है जो निचे हैं-
स्वर की संख्या: 11 (अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ए , ऐ , ओ , औ , ऋ)
- अनुस्वार: 1 (अं)
- विसर्ग: 1 (अः)
- स्पर्शी व्यंजन: 25 (क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, व , भ और म।)
- उष्म व्यंजन: 4 (श, ष, स, ह)
- अंतःस्थ व्यंजन: 4 (य’, ‘र’, ‘ल’ और ‘व)
- सयुंक्त व्यंजन: 4 (ज्ञ , श्र, क्ष , त्र )
- द्विगुण व्यंजन: 2 (ड’ एवं ‘ढ)
स्वर
वे वर्ण, जिनके उच्चारण के लिए किसी दूसरे वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती या जो वर्ण स्वतंत्र रूप से बोले जाते है वे स्वर कहलाते हैं।
Hindi Varnamala में स्वरों की संख्या पहले 14 थी।
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ लृ लृ ए ऐ ओ और ऋ और लृ एवं लृ दोनों का प्रयोग अब नहीं होता है। इस प्रकार अब Hindi Varnamala में स्वरों (स्वरों) की संख्या 11 है।
स्वर – मात्रा
अ | आ – ा | इ – ि | ई – ी |
उ – ु | ऊ – ू | ऋ – ृ | ए – े |
ओ – ो | औ – ौ |
मात्रा के आधार पर Hindi Varnamala में स्वरों की संख्या 10 है।
अ | आ | इ | ई |
उ | ऊ | ऋ | ए |
ऐ | ओ | औ |
स्वर के प्रकार
Hindi Varnamala में उच्चारण के आधार पर स्वर (स्वर) के तीन भेद होते हैं।
ह्रस्व स्वर – जिस वर्ण के उच्चारण में बहुत कम समय लगे (एक मात्रा का), उसे ह्रस्व स्वर कहते हैं। जैसे – अ इ उ
दीर्घ स्वर – जिनके उच्चारण में एक मात्रा (ह्रस्व स्वर) का दूना समय लगे, उन्हें द्विमात्रिक या दीर्घ स्वर कहते हैं।
जैसे- आ ई ऊ ऋ ए ऐ ओ और
प्लुत स्वर – जिसके उच्चारण में सबसे अधिक समय (दीर्घ स्वर से भी अधिक) लगता है। सामान्यतः इसके उच्चारण में एक मात्रा का तिगुना समय लगता है। जैसे – बाप रे ! रे मोहना !
स्वरों का वर्गीकरण
हिंदी व्याकरण में स्वरों का वर्गीकरण निम्न है।
1- जीभ की ऊचाई के आधार पर –
- विवृत – आ
- अर्द्ध विवृत – ऐ औ
- अर्द्ध संवृत – ए ओ
- संवृत – इ ई उ ऊ
2- जीभ की उत्थापित भाग के आधार पर –
- अग्रस्वर – इ ई ए ऐ
- मध्य स्वर – अ
- पश्चस्वर – आ उ ऊ ओ औ
3- ओष्ठों की स्थिति के आधार पर –
- प्रसृत – इ ई ए ऐ
- वर्तुल – उ ऊ ओ औ
- अर्धवर्तुल – आ
4- जीभ पेशियों के तनाव के आधार पर –
- शिथिल – अ इ उ
- कठोर – आ ई ऊ
व्यंजन
जिन वर्णो का उच्चारण स्वरों की सहायता के बिना नहीं होते है उन्हें व्यंजन वर्ण (हिंदी व्यंजन) कहते हैं।
जैसे – क (क्+अ)
प्रत्येक व्यञ्जन अ से मिलकर उच्चारित होता है।
हिंदी Varnmala में कोई भी व्यंजन बगैर ‘अ’ स्वर के उच्चरित नहीं होता है।
व्यंजन दो तरह से लिखे जाते हैं :
- खड़ी पाई के साथ
क ख ग घ च ज झ ञ ण त थ ध न प फ ब भ म य ल व श ष स क्ष त्र ज्ञ
- बिना खड़ी पाई के साथ–
ङ छ ट ठ ड ढ द र
व्यंजन के प्रकार
Hindi Varnmala में व्यंजन निम्न 3 प्रकार के होते हैं।
- स्पर्श व्यंजन
- अन्तस्थ व्यंजन
- ऊष्म व्यंजन
- स्पर्श व्यंजन –
जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा फेफड़ो से निकलते हुए किसी विशेष स्थान (तालु,मूर्धा,कण्ठ्य,,दन्त एवं ओष्ठ) को स्पर्श करे ,स्पर्श व्यंजन कहलाते है।
जैसे –
व्यंजन – वर्ग
क ख ग घ ङ – क
च छ ज झ ञ – च
ट ठ ड ढ ण ट
त थ द ध न – त
प फ ब भ म – प
Hindi Varnamala (Hindi Varnamala) में स्पर्श व्यंजन की कुल संख्या 25 है।
- अन्तस्थ व्यंजन – जिन वर्णो का उच्चारण Hindi Varnamala के बीच (स्वर एवं व्यंजन के मध्य) स्थित हो ,अन्तस्थ व्यंजन कहलाते है।
जैसे – अन्तस्थ व्यंजन – य र ल व
- उष्म/संघर्षी व्यंजन – जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु मुख में घर्षण/ टकराव का अनुभव करती है, वे उष्ण/संघर्ष व्यंजन कहलाते हैं।
जैसे – उष्म/संघर्षी व्यंजन – श, ष, स, ह
व्यंजन का वर्गीकरण
Hindi Varnamala में उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजन का वर्गीकरण निचे दिया गया है
- कण्ठ्य – क ख ग घ ङ ह
- तालव्य – च छ ज झ ञ य श
- मूर्धन्य – ट ठ ड ढ ण ष र
- दन्त्य – त थ द ध न ल स
- ओष्ठ्य – प फ ब भ म
- दन्तोष्ठ – व
- अनुनासिक – ङ ञ ण न म
- अघोष
Hindi Varnamala के स्पर्श व्यंजन के प्रत्येक वर्ग (क च ट त प) के प्रथम एवं द्वितीय व्यंजन, अघोष व्यंजन कहलाते है।जैसे – क ख च छ ट ठ त थ प फ
घोष
प्रत्येक वर्ग के तृतीय, चतुर्थ एवं पंचम व्यंजन, घोष व्यंजन कहलाते है। जैसे- ग घ ङ ज झ ञ ड ढ ण द ध न ब भ म
अल्पप्राण
प्रत्येक वर्ग के प्रथम , तृतीय , पंचम व्यंजन ,अल्पप्राण व्यंजन कहलाते है। जैसे – क ग ङ च ज ञ ट ड ण त द न प ब म
महाप्राण
प्रत्येक वर्ग के द्वितीय एवं चतुर्थ व्यंजन, महाप्राण व्यंजन कहलाते है। जैसे – ख घ छ झ ठ ढ थ ध फ भ
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