प्रत्येक देश में यादों को सुनने, उनका विश्लेषण करने और लिखने की एक विस्तारित संस्कृति रही है, क्योंकि यह हर किसी के लिए बहुत सुखद है। बच्चे यादों के प्रति चौकस रहने के लिए बड़े उत्सुक होते हैं और हम दादी-नानी की यादों के प्रति चौकस रहते हुए बड़े हुए हैं। स्मृतियों का मकसद मनोरंजन है, लेकिन इसके अलावा, वे हमें थोड़ी सी शिक्षा भी प्रदान करते हैं।
कहानी लेखन के लिए, हम संरचना के विचार पर, चित्र के विचार पर, या रूपरेखा के विचार पर कहानी लिखने में सक्षम हैं। कई बार कॉलेज और कॉलेज की प्रतियोगिताओं में कुछ चुनौतियों पर कहानी लेखन भी किया जाता है।
कहानी लेखन क्या है?
कहानी लेखन मुख्य रूप से रचनात्मकता और विचारों पर आधारित है। एक रचनाकार पाठक को एक नैतिक संदेश देने के तरीके के रूप में अपनी रचनात्मकता और दिमाग को कहानी के आकार में स्थान देने का प्रयास करता है। अधिकांश यादें मुख्य रूप से वास्तविक आंकड़ों या वास्तविक घटनाओं पर आधारित होती हैं।
कहानी लेखन महत्वपूर्ण बिंदु
- रचना कहानी लेखन का सबसे आवश्यक अंग है, किसी मुख्य व्यक्ति या घटना को सामने लाकर रचना लिखिए।
- दूसरा भाग लगभग कहानी का परिदृश्य है।
- कहानी के निर्माण के बाद, हम कहानी के चरमोत्कर्ष का दावा करने के लिए कहानी की एक घटना या एक अवसर को लिखना चाहते हैं।
- चरमोत्कर्ष कहानी का एक पूरी तरह से चुंबकीय हिस्सा है जो पाठक को उसमें बांधे रखता है।
- कहानी लेखन का अंतिम भाग कहानी का बोध है।
कहानी लेखन कैसे करे?
चाहे आप पूरी तरह से आकार पर आधारित कहानी लिख रहे हों या एक चित्र और एक विषय, आकार/छवि/विषय के बारे में अच्छी तरह से सोचना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके बाद अपनी कहानी को रोमांचक तरीके से लिखना भी जरूरी है और अगर यह छोटी कहानी है तो इसे जल्दी से सहेज लेना चाहिए। इन सभी वस्तुओं को एक परी कथा में विचारों में संग्रहित किया जाना चाहिए:
- कहानी की शुरुआत आकर्षक तरीके से करें
- संवाद छोटा सा हो
- कहानी का ग्रेजुअल डेवलपमेंट हो
- उसका अंत नेचुरल हो
- भाषा आसान और समझने योग्य हो
कहानी लेखन प्रारूप
उद्घाटन: अपनी कहानी की शुरुआत एक आकर्षक प्रतिष्ठान से करें जो आपके पाठकों को अच्छी तरह से बांधे रखे!
चरित्र परिचय: अपने पाठकों को मुख्य पात्रों और कहानी के भीतर उनके तत्वों से परिचित कराएं और अपनी कहानी पहेली के हिस्सों को ठीक करने में उनकी मदद करें!
प्लॉट: यह तब होता है जब वास्तविक नाटक शुरू होता है, क्योंकि प्राथमिक प्लॉट मध्य चरण लेता है। कहानी को उजागर करें और अपने पात्रों को प्राथमिक संघर्ष पर प्रतिक्रिया, विस्तार और निर्माण देखें।
निष्कर्ष: चाहे आप एक संतोषजनक या एक खुले अंत के लिए पार करते हैं, यह सुनिश्चित करें कि कम से कम कई समस्याएं यदि अब स्टॉप के माध्यम से हल नहीं होती हैं और आप पर लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव से दूर हो जाते हैं।
कहानी लेखन प्रकार
कहानी लेखन की कुछ महत्वपूर्ण शैलियाँ भी हैं। कहानी लेखन करने से पहले, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप यह निर्णय लें कि आपका परिचय कैसा हो सकता है या कैसे हो सकता है। कुछ कहानी लेखन इस प्रकार हैं:
घटनाप्रधान कहानी
ऐसी स्मृतियाँ जिनमें सरलतम क्रियाएँ पात्रों, संवादों, कथानक आदि को बढ़ा देती हैं, अवसरोन्मुखी स्मृतियाँ कहलाती हैं। एपिसोडिक यादों का महत्वपूर्ण कारण पाठक का मनोरंजन करना है ताकि वे विसरित भावों की अभिव्यक्ति पर ध्यान न दें।
आपको जादुई, रहस्यमयी, जासूसी यादों का अध्ययन करना चाहिए। वे सभी एपिसोडिक यादें हैं। कला की दृष्टि से देखा जाए तो ऐसी स्मृतियों को रोजमर्रा की श्रेणी में रखा जाता है।
चरित्रप्रधान कहानी
जिन कहानियों में व्यक्तिगत चित्रण सबसे महत्वपूर्ण होता है, उन्हें व्यक्ति-उन्मुख कहानियों के रूप में जाना जाता है। इसमें लेखक घटनाओं पर ध्यान देने की अपेक्षा पात्रों के चरित्र-चित्रण पर अधिक ध्यान देगा। इसमें पात्रों की भावनाओं को बहुत सूक्ष्मता से चित्रित किया गया है और पूरी कहानी एक व्यक्ति की भावनाओं, मन और चाल के इर्द-गिर्द घूमती है।
ऐसी कहानियों में किसी के अंतर्मन को भी चित्रित किया जाता है, जिससे घटना-आधारित कहानियों की अपेक्षा व्यक्ति-केंद्रित कहानियों का क्षेत्र बेहतर होता है।
वातावरण प्रधान कहानी
यदि आपके पास पूस की रात, आकाशदीप, गुल्ली डंडा इत्यादि जैसे अध्ययन साक्ष्य हैं, तो आप बिना किसी समस्या के पहचान सकते हैं कि पारिस्थितिक तंत्र उन्मुख साक्ष्य क्या हैं। कहानी लेखन के प्रमुख तत्व समय/परिवेश का भी संकेत करते हैं, जो कहानी को अधिक प्रभावशाली और अधिक रोचक बनाता है। ऐसे साक्ष्य जिनमें परिवेश या पर्यावरण को महत्व दिया जाता है, उन्हें परिवेश-उन्मुख साक्ष्य कहा जाता है।
परिवेश-उन्मुख साक्ष्यों में, मौसम, वर्ष, युग, परंपरा, आदि जैसी सभी चीजों पर विशेष जोर देकर कहानी का निर्माण किया जाता है। उस खट्टी ठंडी ठंडक का वर्णन जिसे पाठक महसूस कर सकता है। पूरी कहानी में प्रेमचंद ने पूस की सर्द रात का बखूबी हवाला दिया है।
भाव प्रधान कहानी
भावनात्मक कहानियाँ एक ही भावना या विचार से संचालित होती हैं। विचार या भावना कुछ भी हो लेकिन पूरी कहानी उसी अवधारणा या भावना के इर्द-गिर्द घूमती है। भावनात्मक यादें अक्सर प्रतीकों को मोटल करती हैं और पाठक के दिमाग में नए विचार उत्पन्न करती हैं। गद्य की भाँति लघु स्मृतियाँ, प्रेम स्मृतियाँ तथा प्रतीकात्मक स्मृतियाँ इसके नीचे आती हैं।
खासतौर पर अगर आप तेज यादों को देखें तो उनमें आपको सबसे ज्यादा इमोशन का महत्व पता चलेगा। संक्षिप्त स्मृतियों में यथार्थ चरित्र-चित्रण, परिवेश चित्रण आदि का अभाव होता है, जबकि भाव/विचार की प्रधानता होती है। सरलतम सआदत हसन मंटो या जयशंकर प्रसाद की संक्षिप्त स्मृतियाँ पढ़िए जिनमें एक या वैकल्पिक भाव प्रधान है।
मनोविश्लेषणात्मक कहानी
मेरी पसंदीदा प्रकार की कहानी मनोविश्लेषणात्मक है, और यदि आप इस शैली की कहानियाँ पढ़ना चाहते हैं, तो जैनेंद्र कुमार अवश्य पढ़ें। मनोविश्लेषणात्मक कहानियाँ वे हैं जो मनोविश्लेषण के महत्व पर बल देते हुए मानसिक उल्लास की स्थिति का चित्रण करती हैं। जनेन्द्र कुमार हिन्दी साहित्य में मनोविश्लेषणात्मक कहानियों के रचयिता हैं।
जैनेन्द्र कुमार जी ने एक रात, पाजेब और फांसी सहित कई रचनाएँ लिखी हैं जिनमें मनोविश्लेषण या मन के महत्व पर बल दिया गया है। इस कड़ी में कहानीकार अज्ञेय और इलाचंद्र जोशी भी हैं।
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